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"तुम झूम झूम गाओ / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर

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तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,
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मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।
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भटकी हुई पवन है,
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सहमी हुई किरन है,
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न पता नहीं सुबह का,
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हर ओर तम गहन है,
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तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,
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मैं सूर्य-चांद सारे भू पर उतार दूंगा।
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तुम झूम झूम गाओ।
  
तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,<br>
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गीला हरेक आंचल,
मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।<br>
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टूटी हरेक पायल,
भटकी हुई पवन है,<br>
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व्याकुल हरेक चितवन,
सहमी हुई किरन है,<br>
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घायल हरेक काजल,
न पता नहीं सुबह का,<br>
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हर ओर तम गहन है,<br>
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मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।
तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,<br>
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तुम झूम झूम गाओ।
मैं सूर्य-चांद सारे भू पर उतार दूंगा।<br>
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टूटी हरेक पायल,<br>
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हर एक नीड़ खाली,
व्याकुल हरेक चितवन,<br>
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गाती न कहीं कोयल,
घायल हरेक काजल,<br>
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तुम सेज-सेज जाओ, सपने नए सजाओ,<br>
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तुम बाग जाओ, हर फूल को जगाओ,
मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।<br>
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मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।<br><br>
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तुम झूम झूम गाओ।
  
विधवा हरेक डाली,<br>
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मिट्टी उजल रही है,
हर एक नीड़ खाली,<br>
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धरती संभल रही है,
गाती न कहीं कोयल,<br>
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दिखता न कहीं माली,<br>
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दुनिया बदल रही है,
तुम बाग जाओ, हर फूल को जगाओ,<br>
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तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,
मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।<br>
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इतिहास से हुई मैं गलती सुधार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।<br><br>
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मिट्टी उजल रही है,<br>
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धरती संभल रही है,<br>
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इन्सान जग रहा है,<br>
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तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,<br>
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इतिहास से हुई मैं गलती सुधार दूंगा।<br>
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तुम झूम-झूम गाओ।
 
तुम झूम-झूम गाओ।
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21:10, 19 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,
मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।
भटकी हुई पवन है,
सहमी हुई किरन है,
न पता नहीं सुबह का,
हर ओर तम गहन है,
तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,
मैं सूर्य-चांद सारे भू पर उतार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

गीला हरेक आंचल,
टूटी हरेक पायल,
व्याकुल हरेक चितवन,
घायल हरेक काजल,
तुम सेज-सेज जाओ, सपने नए सजाओ,
मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

विधवा हरेक डाली,
हर एक नीड़ खाली,
गाती न कहीं कोयल,
दिखता न कहीं माली,
तुम बाग जाओ, हर फूल को जगाओ,
मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

मिट्टी उजल रही है,
धरती संभल रही है,
इन्सान जग रहा है,
दुनिया बदल रही है,
तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,
इतिहास से हुई मैं गलती सुधार दूंगा।
तुम झूम-झूम गाओ।