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तुम तो जागो न हो अमुक भाई घर की नार / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तुम तो जागो न हो अमुक भाई घर की नार,
विहाणो हो श्याम-सुहावणो।
तुम तो जागो न हो बहुवर चीर संवारो
विहाणो हो श्याम-सुहावणो।
तुम तो देवो न हो बहुवर बाजुबन्द खील,
विहाणो हो श्याम-सुहावणो।
तुम तो देवों न हो बहुवर कपिला गाय,
विहाणो हो श्याम-सुहावणो।