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"तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर

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तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...।
 
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...।
  

19:58, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: प्रेमचंद

तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...।


तुम तो श्याम पीओ दूध के कुल्हड़,

मेरी तो पानी पै गुजर, पानी पै गुजर हो ।

तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।


आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगाइयाँ,

मेरी तो आपी पै नज़र, आपी पै नज़र हो ।

तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।


(प्रेमचन्द के उपन्यास 'वरदान' से संग्रहीत)