♦ रचनाकार: अज्ञात
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...।
तुम तो श्याम पीओ दूध के कुल्हड़,
मेरी तो पानी पै गुजर, पानी पै गुजर हो ।
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।
आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगाइयाँ,
मेरी तो आपी पै नज़र, आपी पै नज़र हो ।
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।
(प्रेमचन्द के उपन्यास 'वरदान' से संग्रहीत)