Last modified on 18 नवम्बर 2020, at 23:35

तुम देखना / सतीश कुमार सिंह

कि जैसे
अपनी बुराइयों को देखे बिना
कभी नज़र नहीं आतीं
खुद के भीतर की अच्छाइयाँ

तुमको जब-जब भी देखा
कुछ कुछ बुराइयों
या बहुत कुछ अच्छाइयों के साथ
अक्सर लगा
तुमने भी मुझे वैसे ही देखा
जैसे देखा मैंने तुमको

तुम देखना
इस तरह ही बीत जाएगी यह ज़िन्दगी
एक दूसरे को इस तरह देखते देखते

इस बात को समझने में
जितनी देर लगती है
उतनी देर में
सूरज पश्चिम में चला जाता है