Last modified on 12 अक्टूबर 2009, at 16:15

तुम बहुत अच्छे हो / निशांत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 12 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशांत }} {{KKCatKavita‎}} <poem> आज अचानक हाथों में आ गया एक वा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज अचानक हाथों में आ गया
एक वाक्य
बहुत दिन पहले
जब उम्र समझने वाली हो रही थी
एक चिट पर लिख कर 'उसने कहा था' --
'तुम बहुत अच्छे हो !'
एक
बहुत बड़े तूफ़ान के गुज़र जाने के बाद
जिससे भीग गया था मेरे कुर्ते का कॉलर
मेरा रूमाल
थोड़ी-सी पृथ्वी
उसने कक्षा में
धीरे से लिखकर बढ़ा दिया था 'यह' वाक्य
पहली बार
पूरे जीवन में
किसी ने लिखकर कहा था
'तुम बहुत अच्छे हो !'
आज इक्कीस साल बाद
यह एक वाक्य
फिर हाथ लगा
फिर तुम्हारी याद आई
फिर मन तरसा
कोई लिखकर कहे-
'तुम बहुत अच्छे हो'।