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कहीं ऐसा तो
नही नहीं पहले अँधेरा भेजते हो,
फिर सितारों की दलाली कर उजाला बेचते हो।
कैदखाने क़ैद-ख़ाने में
पड़ा सूरज रिहाई माँगता हो,
या सकल आकाश आँगन में तुम्हारे नाचता हो।
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