Last modified on 20 मार्च 2020, at 23:19

तुम / मनीष मूंदड़ा

ये सोच कर कि
अब ना देखेंगे तुम्हें
मैंने अपनी आँखें मूँद ली
पर बन्द पलकों की परतों में भी
मुझे तुम नजर आ ही गये

ये सोच कर कि
अब ना याद करेंगे तुम्हें
मैंने अपनी मंजि़ल बदल ली
पर पुरानी यादों की पगडंडियों के रास्ते
फिर से मुझे तुम याद आ ही गये

ये सोच कर कि
अब ना मिला करेंगे तुम्हें
मैंने अपनी पहचान बदल ली
पर दिल में सजी तुम्हारी तस्वीरों के जरिए
देखो, फिर से तुम मुझे मिल ही गए।