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तूं कद आसी / गोरधनसिंह शेखावत

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पड़ी-पड़ी सूखण लागी
तूं कद आसी
 
थारी छाती री धड़कणां सूं
जीवती रहबाळी
कांचळी रा सांसा रा तार
उघड़बा लाग्या
खूंटी रै टंग्यौडै पोमचै पर
लाग्योडो मूंधो गोटो
झूठो पड़बा लाग्यो
<poem>
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