रेडियो की घोषणा थी,
इँगलैंड से आया बवण्डर ।
मरे तो कम ही इस बार,
लेकिन बेहद हुआ नुकसान
माल-मत्ते का, मौसमी तबाही का
फिर क्या हो बखान :
एक आम दीवानगी सा
फैलता गया वो अन्धड़,
चारों ओर, बदहाल हम
वैसे भी एकीकरण के दौर से
और अमीरों के क्लब से भी
हो सकते हैं बाहर,
डॉयशमार्क की कमज़ोरी का
बना जो हुआ है डर,
अगर बेलगाम मौसम
पक्के मेहमान के तौर से
बस जाना चाहता हो यहाँ,
जैसे वह परदेसी जुनून,
ढीठ, नशाखोर और
एड्स से दूषित जिसका ख़ून,
चिपकता है हमसे,
करता छेड़खानी हमारी ज़ात से,
ताकि ख़ुद से नहीं,
नफ़रत हो हमें उसकी औकात से. –
घोषणा होती है, फिर एकबार
तूफ़ान के आक्रमण की,
जो सीमाओं को लाँघ दस्तक देता
और माँग करता शरण की ।
मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य