Last modified on 22 अक्टूबर 2009, at 14:37

तू दिगम्बर विश्व है घर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:37, 22 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" |संग्रह=अर्चना / सूर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तू दिगम्बर विश्व है घर
ज्ञान तेरा सहज वर कर।
शोकसारण करणकारण,
तरणतारण विष्णु-शंकर।

अमित सित के असित चित क,े
त्वरित हित के राम वानर,
लक्षणासन संग लक्ष्मण
वासनारण-प्रहर-खर-शर।

गति अनाहत, तू सखा मत,
सहज संयत, रे अकातर,
ध्यान के सम्मान में रत
ज्ञान के शतपथ-चराचर।