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[[Category:गज़ल]]
<poem>
तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है
के हमको तेरा नहीं इंतज़ार अपना है
तू पास मिले कोई भी हो तो दिल बेक़रार अपना है <br>तेरा ज़िक्र छेड़ देते हैं के हमको तेरा नहीं इंतज़ार जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है <br><br>
मिले कोई भी तेरा ज़िक्र छेड़ देते हैं <br>वो दूर हो तो बजा तर्क-ए-दोस्ती का ख़याल के जैसे सारा जहाँ राज़दार वो सामने हो तो कब इख़्तियार अपना है <br><br>
वो दूर हो तो बजा तर्क-ए-दोस्ती का ख़याल <br>ज़माने भर के दुखों को लगा लिया दिल से वो सामने हो तो कब इख़्तियार इस आसरे पे के इक ग़मगुसार अपना है <br><br>
ज़माने भर के दुखों को लगा लिया दिल से <br>इस आसरे पे के इक ग़मगुसार अपना है <br><br> "फ़राज़" राहत-ए-जाँ भी वही है क्या कीजे <br>वो जिस के हाथ से सीनाफ़िग़ार अपना है <br><br/poem>
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