Last modified on 14 जून 2014, at 12:43

तू / एरिष फ़्रीड / प्रतिभा उपाध्याय

जहाँ कोई आजादी नहीं
वहाँ तू आजादी है,
जहाँ कोई गरिमा नहीं
वहाँ तू गरिमा है,
जहाँ कोई गर्माहट नहीं
आदमी आदमी के बीच कोई निकटता नहीं
तू निकटता और गरमी है,
बेरहम दुनिया का दिल है तू।।

तेरे होंठ और तेरी जीभ
सवाल और ज़वाब हैं
तेरी बाहों और तेरी गोद में
शान्ति जैसा कुछ है
हर किसी को तुझसे आगे जाना है
जा रहा है वापस आने के लिए
तू भविष्य की शुरूआत है
बेरहम दुनिया का दिल है तू।।

तू धर्मसिद्धांत नहीं
और दर्शन भी नहीं तू
तू कोई प्रभुता और संपत्ति नहीं
जिसे कोई जकड ले
तू एक जीवित व्यक्ति है
तू एक स्त्री है
तू भूल कर सकती है,
शक कर सकती है और तू दक्ष हो सकती है
बेरहम दुनिया का दिल है तू।।