भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तेरा नाम / जयंत परमार

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:13, 11 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयंत परमार |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> फूल की पत्ती-पत्ती …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूल की पत्ती-पत्ती पर
अपनी उँगलियों से
लिखता हूँ तेरा नाम!

फूल तो झड़ जाता है
लेकिन तेरा नाम
ख़ुशबू बनकर
फैल रहा है चारों ओर!