भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तेरा नाम / राजेश गोयल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:45, 19 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश गोयल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार तेरा हो समाया, गीत ऐसा गा ना पाया।
हाथों में सुबह शाम, नाम लिख ना पाया॥
प्रेम की अराधना,
मौन रहना साधना।
पास भी हो दूर भी हो,
तुम नयन के बीच हो॥
हृदय के बीच तेरा, नाम लिख ना पाया।
प्यार तेरा हो समाया, गीत ऐसा गा ना पाया॥
चलते-चलते अब मैं हारा,
देखो फिर आया अंधियारा।
सोई पीड़ा जाग ना जाये,
मुझको तेरी याद ना आये॥
आँसू मेरी आँख का, कहानी सुना ना पाया।
प्यार तेरा हो समाया, गीत ऐसा गा ना पाया॥
पास मैं केवल निराशा,
बन गया तेरा दिवाना।
जिन्दगी से जूझ हारा,
जानता संसार सारा॥
जीवन की आशा को डौर बांध ना पाया।
प्यार तेरा हो समाया, गीत ऐसा गा ना पाया॥