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15अश्रु विकलजब-जब बहते।तुमको सोचूँ। 16तुमको पायापल-पल अघाया।प्यास तुम्हीं थीं।17ताप मिटे हैंअधर- छुअन सेतन-मन से ।18'''स्वर्गिक सुख-''''''तेरा भुजबन्धन''''''महामिलन ।'''19बाहों के घेरेजब कसे तुम्हारेदर्द मिटे हैं।20'''सिन्धु-अगाध''''''जब-जब मैं डूबा''''''तुम ही मिले।'''21थी सूनी घाटीपुकार सुन भीगीमन की माटी।22जीवन की लूतपी थी मन की भूनेह से सींची।23सांध्य गगनकर गया उदासएकाकी मन।24स्वर्णिम मेघलुभाते गगन कोकुंचित केश।25घटा में धूपमोह गया मन कोतेरा ये रूप।26फैला गगनउमड़ते ये घनमेरा ही मन।27हर आँगनसुवासित हों रोमबन चन्दन28जीवन-छन्दअम्बर तक डोरीछू लिया चन्दा।
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