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तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा ग़म ही मेरी हयात है / निदा फ़ाज़ली
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16:56, 13 अक्टूबर 2020
<poem>
तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा ग़म ही मेरी हयात है
मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ है
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