Last modified on 3 नवम्बर 2013, at 14:12

तेरी दुनिया से ये दिल इस लिए घबराता है / अफ़ज़ल गौहर राव

तेरी दुनिया से ये दिल इस लिए घबराता है
इस सराए में कोई आता कोई जाता है

तू ने क्या दिल की जगह रक्खा है पत्थर मुझ में
ग़म से भर जाऊँ भी तो रोना नहीं आता है

वो मिरे इश्क़ की गहराई समझता ही नहीं
रास्ता दूर तलक जाए तो बल खाता है

फिर भला किस के लिए इतनी चमकती है ये रेत
कोई दरिया भी नहीं है जो कहीं जाता है

उस के हाथों में वो परकार है जिस से ‘गौहर’
घूम जाती है ज़मीं आसमाँ चकराता है