Last modified on 2 जून 2014, at 00:35

तेरी बन जैहैं गोविन्द / भजन

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

तेरी बन जैहैं गोविन्द, गुन गाये से, रामगुण गायेसे॥टेर॥१॥
ध्रुवकी बन गई, प्रह्लादकी बन गई।
द्रौपदीकी बन गई, चीरके बढ़ाये से॥ तेरी०॥१॥
बालीकी बन गई,सुग्रीवकी बन गई।
हनुमतकी बन गई, सिया-सुधि लाये से॥ तेरी०॥२॥
नन्दकी बन गई, यशोदाकी बन गई।
गोपियनकी बन गई, माखनके खवाय से॥ तेरी०॥३॥
गजकी बन गई, गीधकी बन गई।
केवटकी बन गई, नाव पै चढ़ाये से॥तेरे०॥४॥
ऊधवकी बन गई, भीष्मकी बन गई।
अर्जुनकी बन गई, गीता-ज्ञान पाये से॥ तेरी०॥५॥
तुलसीकी बन गई, सूराकी बन गई।
मीराकी बन गई, गोविन्द के रिझाये से॥तेरी०॥६॥