तेरी रहमतों में सहर नहीं
मेरी बंदगी में असर नहीं?
जिसकी रहे नेकी निहाँ
कहीं कोई ऐसा बशर नहीं?
जिसे धूप दुख की न छू सके
कोई ऐसा दुनियाँ में घर नहीं?
तन्हाई, साया साथ है
बेदर्द खुशियाँ मगर नहीं।
जिसे लोग कहते हैं ज़िंदगी
देवी इतनी आसां सफ़र नहीं।