बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तेरे पलकन पाँव धरौ न रसिया।
मोरे बाप कें ऊँची अटरियाँ तोरी बखरी मो सें धरै न रसिया।
अपने बाप कें मैं हौं अकेली तेरी एक न होकें रहूँ रसिया।
अपने बाप के मैं अत प्यारी, नौ दस मास पीर न सहूँ रसिया।
मोरी बलम नें एक न मानी धर पकरी बाँह पकड़ लऔ रसिया।
मोरे अँगनवा बजत बधावा छम छम नाचै ननद रसिया।
कील खोल कंगना पहिरायेय जुग-जुग जियें बलम रसिया। तेरे...