भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरे मिलने से हम को खुशी मिल गई / श्याम सुन्दर नंदा नूर
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 21 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुन्दर नंदा नूर |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तेरे मिलने से हम को खुशी मिल गई
यूँ लगा इक नई ज़िंदगी मिल गई
आप के दम से है ज़िंदगी ज़िंदगी
आप क्या मिल ज़िंदगी मिल गई
हम तो तन्हा चले थे मगर राह में
मिल गए हम-सफ़र दोस्ती मिल गई
लोग तारीकियों में भटकते रहे
दिल जला कर हमें रौशनी मिल गई
ज़र मिला है किसी को किसी को ज़मीं
तेरे दर की हमें बंदगी मिल गई
आप का प्यार जब से मिला है हमें
मिट गए सारे ग़म हर खुशी मिल गई
और क्या चाहिए तेरे दर से हमें
दिल को छूती हुई शाइरी मिल गई