भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तैत्तिरीयोपनिषद / मृदुल कीर्ति

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ॐ श्री परमात्मने नमः

शांति पाठ

मम हेतु शुभ हों, इन्द्र, मित्र, वरुण, बृहस्पति, अर्यमा,
प्रत्यक्ष ब्रह्म हो, प्राण वायु देव, तुम, तुमको नमः।
प्रभो ग्रहण भाषण आचरण हो, सत्य का हमसे सदा,
ऋत रूप, ऋत के अधिष्ठाता, होवें हम रक्षित सदा।