Last modified on 11 अप्रैल 2011, at 17:13

तोड़ा है दिल किसने तुम्हारा बता देते / मोहम्मद इरशाद

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:13, 11 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मोहम्मद इरशाद |संग्रह= ज़िन्दगी ख़ामोश कहाँ / म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


तोड़ा है दिल किसने तुम्हारा बता देते
फिर देखते हम उसको कैसी सज़ा देते

हमको खबर न थी के वो राह-ए-वफा पे हैं
इल्ज़ाम हम भी उसपे कोई लगा देते

वो लोग तो नाबिने थे मंज़िल से बेख़बर
तुमको ख़बर थी राह की उनको दिखा देते

उसका अभी बुलावा आता नहीं अगर
जीते हैं किस तरह से ये तुमको बता देते

बच्चों की थी लड़ाई कहते हम किस को क्या
छोटी सी बात थी उसे कैसे बढ़ा देते

‘इरशाद’ उनके हक में गर देते बयान तुम
बो बेज़बान थे मगर दिल से दुआ देते