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"तोड़ो-तोड़ो , जितनी भी हैं अब तोड़ो / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

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तोड़ो-तोड़ो , जितनी भी हैं अब तोड़ो
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तोड़ो- तोड़ो, जितनी भी हैं अब तोड़ो
हद की आँखे खुलने तक..बेढब तोड़ो I
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हद की आँखे खुलने तक बेढब तोड़ो  
 
   
 
   
 
मज़हब केवल बाँट रहा है दुनिया को  
 
मज़हब केवल बाँट रहा है दुनिया को  
माला-घंटी-मंदिर-मस्ज़िद सब तोड़ो I
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माला- घंटी- मंदिर- मस्ज़िद सब तोड़ो  
 
   
 
   
आधी रात चलें तो , चलने पाएँ हम
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आधी रात चलें तो, चलने पाएँ हम
करतूतों से लेकर हर करतब , तोड़ो I
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करतूतों से लेकर हर करतब, तोड़ो  
 
   
 
   
देखो केवल तोड़-ताड़ के रखना मत
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देखो केवल तोड़- ताड़ के रखना मत
गड्ढे में दफ़ना के आना..जब तोड़ो I
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गड्ढे में दफ़ना के आना जब तोड़ो  
 
   
 
   
ऐसे-वैसे , जल्दी-वल्दी मत करना
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ऐसे- वैसे, जल्दी- वल्दी मत करना
घात लगाओ ,मौक़ा देखो तब तोड़ो I
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घात लगाओ, मौक़ा देखो तब तोड़ो  
 
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20:32, 18 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

 
तोड़ो- तोड़ो, जितनी भी हैं अब तोड़ो
हद की आँखे खुलने तक बेढब तोड़ो
 
मज़हब केवल बाँट रहा है दुनिया को
माला- घंटी- मंदिर- मस्ज़िद सब तोड़ो
 
आधी रात चलें तो, चलने पाएँ हम
करतूतों से लेकर हर करतब, तोड़ो
 
देखो केवल तोड़- ताड़ के रखना मत
गड्ढे में दफ़ना के आना जब तोड़ो
 
ऐसे- वैसे, जल्दी- वल्दी मत करना
घात लगाओ, मौक़ा देखो तब तोड़ो