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तोता मैना प्रश्नोत्तरी / बिन्दु जी

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मैना: अरे तेरी इक इक श्वास अनमोल,
रे मन तोता!
हरि-हरि बोल।
तोता: रसना ज्ञान कथा मत खोल,
मैना जग उपवन में डोल,
रंग-रंग के फूल खिले हैं, बड़े भाग से भोग मिले हैं,
सबके स्वाद टटोल, मैना! जग उपवन में डोल।
मैना: सपने में एक बाग़ लगाया, फल-फूलों से मन ललचाया,
जब छूने को हाथ बध्य, जाग पड़ा कुछ भी न पाया,
यथा ढोल में पोल, रे मन तोता!
हरि-हरि बोल।
तोता: यदि सपना है जग उपासना, जीव स्वप्न ही जीव वासना,
सपने की क्या स्वप्न कल्पना, सपने में सपना है अपना,
इस विचार को तोल, मैना! जग उपवन में डोल।
मैना: इस भ्रम में मत बन मतवाला, यह तन अमर प्रेम का प्याला,
जिसमें सतस्वरूप रस डाला, तू रस का है पीने वाला,
विष का ‘बिन्दु’ न बोल, रे मन तोता!
हरि-हरि बोल।