Last modified on 13 जून 2017, at 16:42

तोरा बिना जिनगी मझधार लागै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'

तोरा बिना जिनगी मझधार लागै छै।
नैया बिना नाविक पतवार लागै छै।
तोहें जब ताँय छेलहौ।
बहार लागै छेलै।
सागर लहरिया भी
सितार लागै छेलै।
आबे समुनदर खूँखार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मझधार लागै छै।
नैया बिना नाविक पतवार लागै छै।
सुबह साँझ चिड़ियाँ
खोता में गाबै छै।
बाहीं में झूली कै
सबकुछ भूलाबै छै।
मतुर हमरा लाली अंगार लागै छै
तोरा बिना जिनगी मझधार लागै छै।
नैया बिना नाविक पतवार लागै छै।
बगिया में विहँसै छै
आभी तॉय फूल
भौंरा सेॅ बोलै छै।
बाहीं में झूल
तीर सन हमरा गुंजार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मझधार लागै छै।
नैया बिना नाविक पतवार लागै छै।

20/11/15 सुप्रभात पौने पाँच