बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
तोरे नैनाँ हैं मतवारे,
तन घायल कर डारे।
खन्जन खरल सैल से पैने,
बरछन से अनयारे।
तरबारन सें कमती नइँयाँ,
इनसे सबरे हारे।
ईसुर चले जात गैलारे।
टेर बुलाकें मारे।
तोरे नैनाँ हैं मतवारे,
तन घायल कर डारे।
खन्जन खरल सैल से पैने,
बरछन से अनयारे।
तरबारन सें कमती नइँयाँ,
इनसे सबरे हारे।
ईसुर चले जात गैलारे।
टेर बुलाकें मारे।