Last modified on 28 अक्टूबर 2016, at 23:19

तोर सुरता म / लक्ष्मण मस्तुरिया

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:19, 28 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण मस्तुरिया |संग्रह= }} {{KKCatGeet}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे वो
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना

का बस्ती, का बंजर झाड़ी
का नदिया पहाड़, बैरी का नदिया पहाड़
तोर सुरतैई मा, मैं हव दीवाना किंजरव खारे-खार
बैरी किंजरव खारे-खार
मोहनी डारे बरोबर, मन मतावत रहिथे ना
गुलैची मतावत रहिथे ना

तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना

का अंगना, का परछी बारी
ये तुलसी के चौंरा राजा, ये तुलसी के चौंरा
तोर मया मा बाजै पैरी
झमके घाट घठौधा राजा, झमके घाट घठौधा
जादू डारे कस ये जीव जुग-जुगावत रहिथे ना
जुग-जुगावत रहिथे ना

तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना

आजा आजा मोर मयारू मया के बस्ती बसाबो
जोड़ी मया के बस्ती बसाबो
सुख दुःख के अंधियारी डहर मा मया के जोत जलाबो
संगी मया के जोत जलाबो
मया बिना जीव जोनी ह
दुःख पावत रहिथे ना दुःख पावत रहिथे

तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना

पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना
पाखी बांधे, जीव अगास उड़ावत रहिथे ना
गुलैची उड़ावत रहिथे ना

तोर सुरता मा, ये मन भँवरा गुन-गुनावत रहिथे ना
तोर सुरता मा, ये मन कोयली कुह-कुहावत रहिथे ना