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तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से / महेन्द्र मिश्र

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तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से एक टक लागेला नयनवाँ से लाल।
कइसन देस कइसन गाँव के परोसिया से कइसन तोर बाप महतारी हो लाल।
अइसन बालकवा के घर से निकलले से छीन लेले तोहरो गहनवाँ हो लाल।
तोहरा के देबों जोगी शाला ओ दोशालावा से अवरू देबों सोने के जोबनवाँ हो लाल।
कबहुँ ना देखली में अइसन बटोहिया से मोही लेले हमरो परनवाँ हो लाल।
कहत महेन्द्र जोगी फड़के बदनवाँ से भूले नाहीं तोहरो चरनवाँ हो लाल।