Last modified on 23 अप्रैल 2011, at 06:07

तो म्हैं लिखूंला / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:07, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नीरज दइया |संग्रह=साख / नीरज दइया }} [[Category:मूल राजस्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

देवता घट मांय आया
फरमायो चूक बाबत
हळबळो मचग्यो
हाथो-हाथ राजी कर्‌या।

ओळै-दोळै रैवतां थकां ई
आपां सूं अदीठ रैवै
देवी-देवता अर पितरजी
हरफ बारां फिरै उभराणां
जे नीं देवां आपां बां नै-
आपां रा सबद!

म्हारै होठां लारै हरफ
म्हारी मरजी मुजब है
म्हनै ना बांधो किणी आस सूं
आस तूट्यां घट मांय आवैला देवता
अर म्हैं लिखूंला-
एक कविता
अफंड सारू।