Last modified on 26 अगस्त 2009, at 21:14

त्रिवेणी न. 5-6 / गुलज़ार

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:14, 26 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह =त्रिवेणी / गुलज़ार }} {{KKCatTriveni}} <poem> 5. ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


5.

भीगा-भीगा सा क्यों है अख़बार
अपने हॉकर को कल से चेंज करो

"पांच सौ गाँव बह गए इस साल"

6.

चौदहवें चाँद को फिर आग लगी है देखो
फिर बहुत देर तलक आज उजाला होगा

राख हो जाएगा जब फिर से अमावस होगी