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थका हुआ आदमी / कुमार मुकुल

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थके हुए आदमी को

पहले-पहल पता नहीं होता

अपनी थकान की बावत


कोई पस्त हुआ आदमी ही

पहचानता है उसे

और बताता है

कि वह थक तो नहीं गया !


ऐसे सवाल के मुक़ाबिल

सकपकाता है थका आदमी

और साफ़ मुकर जाता है

कि नहीं है ऐसा

कि बढ़ आई दाढ़ी या ढीले कुर्ते

या नए काटते जूते की वज़ह से

यह ख़ुशफ़हमी हुई है आपको


यह थका हुआ बयान देकर

पसर जाता है वह

सामने की कुर्सी पर

उसके पसरने को घूरता

पस्त हुआ आदमी

इधर-उधर की बातें करता तौलता है

कि इसे वाकई जूते ने काटा है

या उसकी क़ीमत ने

फिर पूछता है

क्या मंगाऊँ चाय या ठंडा


अरे ठंडा ही लाओ

धूप तेज़ है आजकल

बोलता है थका आदमी।