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थांरी ओळयूं / आशा पांडे ओझा

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घणी लुभावणी लागै
इण जूण मरूथल री
सुळगती परसां में
कदै-कदास
बिरखा री बूंद ज्यूं
छानै-छुरकै
छिण-दो छिण
जद कदै
आय मिलै
म्हां सूं
थांरी ओळयूं
नस-नस में
रम जावै जद
जाणै कितरा ई
सावण।