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थारै म्हारै बीच / सिया चौधरी

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थांरै म्हारै बीच
होयो ई कद हो
गाढो प्रेम...
अब कठै है बो ?

कांईं थे पांतर आया
कोई पांतर रै लारै ?
जरूर थे मेल दियो
ऊपरली बिराण...
थांरै-म्हारै बीच
होया ई करतो
कदैई अखूट भरोसो...
अब कठै है बो?

कांईं म्हैं चाळ दियो
धान रै साथै ई?
का म्है बाळ दियो
उण नै चूल्है में?

म्हैं सोधूं थारै नैणां में
कै कोई दीठ में आवै
बच्योड़ा एक दो टोपा
प्रेम अर भरोसै रा।