Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 09:58

थावस / गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

जियां हारियोड़ां सारू
होवै हरि-नांव
बियां ई थाक्योड़ां
अर थोकबायरां सारू
हुवै थावस!
पार पड़ै जित्तै तो
आदमी खुद ई करै न्याय
न्यायाधीश सूं जल्लाद तांई
सगळा फरज
फटाफट निभावणी चावै
खुद रै हाथां
पण निजोरी बात हुयां
‘थारो न्याय भगवान करसी’
कैवतो बण जावै बापड़ो।
 
जको भगवान
अबै याद आयो
वो पैली कद नट्यो हो!
पण ओ मिनख
आपरी डोढ-हुंस्यारी में
सगळा चोळणा-पचोळणा
अर दांव-पेच लगा’र
इज्जत रा टक्का बांट्यां पछै
भगवान रै भरोसै
छोडै न्याय
तो बो कोई छोडणो थोड़ी है?
इयां लागै कै
हार्यां पछै
बस जियां-तियां ई
जींवतो रैवण री
जुगत रो नांव है-
भगवान रो भरोसो।
 
आ री आ सागण बात
थावस रै खातर
पार पड़ै जित्तै तो
बापड़ी थावस नैं
कुण याद करै?
‘रुत आयां फळ होय’ रो
हरावळ हेलो करणिया
रातो-रात
रुंखां नैं फळावण
अर
फळां नैं पकावण सारू
अंधारै-उजाळै
चोरीदावै
इंजेक्शन लगावण सूं
कद करै परहेज?
जका है हूंसहार
वै ईज राखै थावस।