भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थोड़ै सै उजाळै नै ई / निशान्त

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:20, 30 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धंवरा है
ठण्ड है

फेर ई
सुधियां ई
भाज्या बगै
घणा लोग

के अमीर के गरीब
अैळो नीं जाण द्यै
जीया-जूण
सूरजी म्हाराज रै
थोड़ै सै उजाळै नै ई।