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थोड़ो सो जरदो गटकै है / मानसिंह शेखावत 'मऊ'

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गटकै है थोड़ो सो दारू !
थोड़ी अणहूती राड़ करै ,
सगळी पण रजपूती सारू !!
                 मैं थाम लियौ है बौ'रा नैं !
                 परणाद्यो मेरा छोरा नैं !!1!!
टींकै-टमकै री जिद कोनी,
जिद कोनी सोनै-चांदी री !
ओछी-लांबी री जिद कोनी,
जिद कोनी थाकी-मांदी री !!
                  आ बात कहूँ जी-सोरा नैं !
                  परनाद्यो मेरा छोरा नैं  !!2!!
अब गढ पड़ग्या तो के होवै,
गढ तो आखर गढ ही तो है !
समदर सूख्यो तो के होवै,
गोडां ताणी ही रीतो है !!
                  छोडो अब काळा-गोरा नैं !
                  परनाद्यो मेरा छोरा नैं !!3!!
खुद भाईड़ा बणग्या बैरी,
आँख्यां सूं मार दियो टचको !
जद चालण मैं अबकाई ना,
तो पग मैं के करसी लचको !!
                    ई दादीसा रा जोरा नैं !
                   परणाद्यो मेरा छोरा नैं !!4!!
कुण सूं मांग्या अर कद मांग्या,
मैं कद मांग्या गाडी-घोड़ा !
मैं नटग्यो घर आई लिच्छम्यां,
अब पड़ग्या फेरां का फोड़ा !!
                 ल्यो बांध प्रेम रा डोरा नैं !
                 परनाद्यो मेरा छोरा नैं !!5!!
मैं बात घणा दिन तक साधी,
साधी सगळी कमजोरयाँ नैं !
पण बात समझ मैं अब आई,
कोयल क्यूँ परणे मोरयाँ नैं !!
                 समझावो आं चमचोरां नैं !
                  परनाद्यो मेरा छोरा नैं !!6!!