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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव निशान्त
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''' थोडी सी कच्ची जगह ''' पक्के आंगन आँगन के बीच
फुट बाई फुट की जो
कच्ची जगह छोड दी थी हमने
कोई न कोई
हरियाली रोपने के लिए
उस पर घर का बच्चा
खेल रहा है
कैइ कई दिनों से
अनेक खिलौनों
और बैट-बाल के
बच्चे के लिए
यह थोडी सी कच्ची जगह।
</poem>