Last modified on 24 मार्च 2019, at 07:43

दगाबाज दुनिया है सबै कुछु रुपइया / बोली बानी / जगदीश पीयूष

दगाबाज दुनिया है सबै कुछु रुपइया
तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया

कबौ लोनु रोटी है
बसि फटही धोती है

आँखिन-मा बूड़े हैं सुर्ज औ जोन्हइया

हम करजा ढोइति है
मूडु पकरि रोइति है

जइसे सब मरिगे हैं बाप अउरु मइया

किसमत सबु गोड़ि चुकी
लोटिया लौ बूड़ि चुकी

अब बूड़े वाली है स्वाँसा कै नइया