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है जो धोखा ही सरासर हरेक अदा उनकी
हमको यह प्यार का थोड़ा सी सा भरम और सही
ख़ुशनसीबी है कि इस दौर में शामिल भी हैं हम
बेरुख़ी हम पेहमपे, इन आँखों की क़सम, और सही
वे भी दिन थे कि निगाहों में खिल रहे थे गुलाब
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