Last modified on 28 फ़रवरी 2011, at 20:31

दर्द मेँ भी अपने चेहरे को तुम हँसता रखना / सिराज फ़ैसल ख़ान

दर्द में भी अपने चेहरे को तुम हँसता रखना ।
मेरी ग़ज़लों से तुम ख़ुद को बावस्ता रखना ।

आपके अपनों में शामिल हूँ इतना काफी है,
लेकिन मुझको अपने दिल का भी हिस्सा रखना ।

दुआ है मेरी शोहरत आपके क़दमोँ को चूमे
लेकिन मुझ तक वापस आने का रस्ता रखना ।

ख़ुश रहने का राज़ बताया है नेहरु जी ने,
नन्हे-मुन्ने बच्चों से तुम भी रिश्ता रखना ।

तितली का इल्ज़ाम है कि तुम गुल के क़ातिल हो,
फूल क़िताबों में ना कोई आइन्दा रखना ।