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दर्द मेरा है रूठा-रूठा / अनुपम कुमार
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दर्द मेरा है रूठा-रूठा
दिल मेरा है टूटा-टूटा
नसीब की मैं बात जानूं
नसीब मेरा है फूटा-फूटा
कर्म सहारे जीवन बिता
कर्म को मैंने कूटा-कूटा
हरियाली के दिन हैं बीते
रोते अब पत्ते बूटा-बूटा
दिल का बाग़ है सूना-सूना
दिल का खज़ाना लुटा-लुटा
सपनों की दुनिया ख़ाली-ख़ाली
उम्मीद का दामन छूटा-छूटा
दिल में तुम्हारे कौन रहेगा
देखो ये कैसा है टूटा-फूटा
बहुत छुपाया तुमने ‘अनुपम’
दिल का ग़ुबार है फूटा-फूटा