Last modified on 22 जनवरी 2020, at 18:00

दर्द मेरा है रूठा-रूठा / अनुपम कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:00, 22 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुपम कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दर्द मेरा है रूठा-रूठा
दिल मेरा है टूटा-टूटा

नसीब की मैं बात जानूं
नसीब मेरा है फूटा-फूटा

कर्म सहारे जीवन बिता
कर्म को मैंने कूटा-कूटा

हरियाली के दिन हैं बीते
रोते अब पत्ते बूटा-बूटा

दिल का बाग़ है सूना-सूना
दिल का खज़ाना लुटा-लुटा

सपनों की दुनिया ख़ाली-ख़ाली
उम्मीद का दामन छूटा-छूटा

दिल में तुम्हारे कौन रहेगा
देखो ये कैसा है टूटा-फूटा

बहुत छुपाया तुमने ‘अनुपम’
दिल का ग़ुबार है फूटा-फूटा