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दर्द राजा है आह रानी है / महेश कटारे सुगम

दर्द राजा है आह रानी है ।
दिल मेरा ग़म की राजधानी है ।

जिस्म उर जां तो ठीक हैं माना,
रूह कैसी है क्या कहानी है ।

ज़िन्दगी फूल प्यार ख़ुशबू है,
भावना दिल की तर्जुमानी है ।

आज का दौर जहन्नुम जैसा,
ये शरीफ़ों की मेहरबानी है ।

रंग इसके सुगम हज़ारों हैं,
आदमी आग हवा पानी है ।