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दश्ते दिल से गुज़र रहा हूँ मैं / अजय अज्ञात

दश्ते दिल से गुज़र रहा हूँ मैं
रेज़ा रेज़ा बिखर रहा हूँ मैं

जी रहा हूँ न मर रहा हूँ मैं
काम दुश्वार कर रहा हूँ मैं

मौत की राह कब तलक देखूँ
ज़िंदगी तुझ पे मर रहा हूँ मैं

जाने मतलब वो क्या निकालेगा
कुछ भी कहने से डर रहा हूँ मैं

मैं तो मिट्टी हूँ मेरी क्या क़ीमत
तेरे हाथों सँवर रहा हूँ मैं