दहेज केॅ सबाल छै ।
मचल सगर बबाल छै ।।
युवा-युवा केॅ हाथ मेॅ,
न क्रांति केॅ मशाल छै ।
बियाह बिन दहेज के,
विरोध भी कमाल छै ।
न पुत्र केॅ पिता छिकै,
बजार केॅ दलाल छै ।
बहू जलै मरै सगर,
ससुर नै कलाल छै ।
दहेज केॅ सबाल छै ।
मचल सगर बबाल छै ।।
युवा-युवा केॅ हाथ मेॅ,
न क्रांति केॅ मशाल छै ।
बियाह बिन दहेज के,
विरोध भी कमाल छै ।
न पुत्र केॅ पिता छिकै,
बजार केॅ दलाल छै ।
बहू जलै मरै सगर,
ससुर नै कलाल छै ।