भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दाता तुंहिंजे दर ते आयसि / लीला मामताणी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:16, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीला मामताणी |अनुवादक= |संग्रह=सौ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दाता तुंहिंजे दर ते आयसि
मुश्किल मुंहिंजी कर आसान
ॿाझ कजाएं का मूंते साईं
मुश्किल कर मुंहिंजी आसान
शर्मु रखजि का लॼड़ी रखजाइं
महितु ॾिजाएं को मूंखे मानु
बेकस आहियां बेवस आहियां
कष्ट कटे रखु मुंहिंजो शानु
तो ही सरीको ॿियो को नाहे
बेवस बंदी आहियां नादान
ऐब न मुंहिंजा तूं ही उघाड़जि
तूं ही ‘निमाणीअ’ जो ही माण
ग़ाफ़िल आहियां आउं गंवारी
हर दमु तो तां आउं कुर्बान
तो बिन मुंहिंजी कान्हे वाह
महर जी कर तूं मूंते निगाह
इहो अथमि साईं अरमान।