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दादी दूर नहीं है / असंगघोष

मेरे दादा के समय
खेत के कुएँ से पानी उलीचने
मरी गाय के चमड़े से बनी
चड़स चला करती थी

कहीं-कहीं
रहट भी चलता था
जिनमें जुतते थे
आँखों पर पट्टी बाँधे
बैल और ऊँट

इन्हें हाँकते
मेरे दादा
व उनके भाई
बिना मजूरी

दादी माँ
घर में चलाती थीं रेटिया
रोज ऊन काततीं
कुकड़ियाँ तैयार कर
कंबल केन्द्र जा
जमा करातीं
कताई की मजूरी में से
एक-दो पैसा
कभी-कभार मुझे देतीं
खर्चने
जिससे खरीदता
पिपरमिंट की गोलियाँ
खट्टी-मीठी

भादोड़ा री बीज पर
मेला भरता
बाबा रामदेव का
खटीक मोहल्ले के मन्दिर में
लाऊड स्पीकर बजता
सुबह से रातभर
भजन संगीत होता
दादा गाते
बाबा रामदेव के गीत
देर रात में
माच का खेल मंचित होता
अगले दिन की भोर तक
जुटी रहती भारी भीड़

भादोड़ा री बीज पर
घर-घर चुरमा बाटी बनती
पूरे गाँव के लोग
आते
मन्दिर में भोग लगाते
परसाद चढ़ाते
मत्था टेक मानता मानते
दादी भी मुझे साथ ले
मन्दिर जातीं
मजूरी के पैसों से
परसाद, नारियल, अगरबत्ती
चढ़ातीं
देवरे पर
खुद धोक दे
मुझसे भी धोक दिलातीं
मन्नतें मानतीं मेरे लिए
सबके लिए
बाबा का भक्त पुजारी
नारियल फोड़
लौटाता
आधा परसाद
नारियल की बारीक-बारीक चटकें काट
दादी पूरे मोहल्ले में बाँटतीं
दूसरे बच्चों जैसा
मैं भी पीछे-पीछे लग जाता
पाता दुबारा एक और टुकड़ा
उदरस्थ कर उसे आदतन
मैं फिर हाथ फैला देता
प्यार से डाँट दादी
एक टुकड़ा चटक
और नन्हें हाथ पर
धर देतीं

एक दिन अनायास
भादवी बीज से पहले ही
दादी बीमार हो गईं
तो धर्म अस्पताल में भर्ती कराया
पिता व ताऊ ने

कुछ दिन बाद लौटीं वह
चारपाई पर
लेटी मरणासन्न

सबकी तरह
मेरी आँखों में भी आँसू छलछला आए
मैंने भी पाँव छुए
ताई ने कहा उनसे
पोता पाँव छू रहा है
दादी के होंठ हिले
मैंने समझा
हमेशा की तरह
आशीर्वाद मिला

कुछ दिन बाद
दादी नहीं रहीं
मोहल्ले के लोग व रिश्तेदार
अपने कंधों पर उठाए
घर से बाहर कहीं
ले गए उन्हें
मैं भी रोया खूब
आँखों से आँसू बहे
रोते-रोते
माँ से पूछा
कहाँ ले गए ये लोग
दादी को
माँ ने भर्राये गले से कहा
दादी भगवान के घर चली गईं
मैं भी जाऊँगा भगवान के घर
दादी के पास
उससे दो पैसा लेकर
पिपरमिंट की गोलियाँ लाऊँगा
माँ ने कहा
नहीं बेटा
तू नहीं जा सकता
भगवान के घर अकेला
हम सभी जाएँगे
कभी न कभी, पर
अभी दादी हमेशा के लिए
हमें छोड़ चली गईं
अब नहीं आएँगी कभी

सच हुआ
माँ का कहा
दादी फिर कभी लौटकर
नहीं आईं

दादी बसी हैं
मेरी यादों में आज तक
छोटे भाई बहिनों ने
दादी को नहीं देखा
न ही जाना दादी का प्यार
जिससे वे वंचित रहे

अब मेरे बेटे
अपनी दादी से बतियाते हैं
तो
मेरी आँखों के सामने
चलचित्र की भाँति मेरी दादी
आ गुजरती हैं
मेरे मुँह में घुल जाता है
पिपरमिंट का
चटक का
स्वाद
मुझे अहसास होता है
सिर पर दादी का हाथ
वे आशीर्वाद दे रही हैं
बार-बार
दुआ कर रही हैं
सबकी कामना के लिए
दादी हमसे
दूर नहीं हैं।