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दास्तान-ए-मौहब्बत / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह

(एक)

सत्रहवें साल में हम नहीं होते गम्भीर
– मस्ती-भरी साँझ, नींबू-पानी और तेज़ बियर की मस्ती में डूबे,
फ़ानूसों से चमचमाते कैफ़े में हो-हल्ला
और हम चल पड़ते हैं नीबू-वृक्षों से घिरे कुञ्ज में सैर करने ।

जून की सुखद शामों में नीबू वृक्ष बिखेरते हैं भीनी खुशबू
और हवा होती है इतनी कोमल कि हम आनन्दमग्न हो, कर लेते हैं बन्द पलकें,
हवा में मिला शोर बताता है कि शहर नहीं है दूर
और उसमें महसूस करते हैं, बियर की महकती भभकी तथा मदिरा की सुवास …

(दो)

और इस तरह कभी हमें दिख जाता है वृक्ष की डाल से झॉंकता हुआ
गहरे नीले आकाश का एक छोटा टुकड़ा
जहाँ दीखता है एक आवारा सितारा, जो टिमटिमाता है हलके-हलके
दूधिया चमक लिए।

जून में गर्मी की साँझ, उस पर सत्रह साल की उम्र
हो जाते हैं खुमार में गिरफ़्तार,
शेम्पेन के घूँट से मदमस्त
बहकते हुए महसूस करते, होंठ पर चुम्बन का स्पर्श
जो कॉंपता है वहाँ एक छोटे जंगली प्राणी की तरह ।

(तीन)

और युवा हृदय बन जाते हैं मतवाले साहसिक योद्धा रॉबिन्सन की तरह
नादान दिल समझता है खुद को महान, साहसिक कामों को अंजाम देने वाला,
तब रास्ते की पीली बत्ती की रोशनी में
गुज़रती है एक लड़की भोली, सहमी-सी मोहक
अपने पिता की झूठी शान और खौफ़नाक निगाहों के नीचे।

और जैसे ही वह तुम्हें पाती है निष्कपट, सीधा-सादा,
अपने छोटे बूट पहने चलती है थोड़ी दूर
वह मुड़ती है अचानक तेज़ी से
और तुम्हारे होठों पर दम तोड़ देती है वह मस्त धुन !

इस तरह तुम्हें हो जाता है प्यार
और अगस्त तक हो जाते हो इश्क में पूरे ग़ाफ़िल,
तुम्हारे गीत बिखेरने लगते हैं उसके होठों पर मुस्कान
तुम्हारे सारे दोस्त कर लेते हैं किनारा, तुम्हारे मिज़ाज से परेशान होकर।

और फिर एक साँझ, जिसकी तुम पूजा करते हो वह !
तुम्हें लिखती है एक पत्र, बड़ी कृपा करती है…!

और फिर इसी साँझ, तुम फिर जाते हो जगमगाते कैफ़े में …!
और मॅंगाते हो तेज़ बियर या नीबू-पानी,
सत्रह साल में हम नहीं होते गम्भीर,
कुञ्ज में, हरे नीबू-वृक्षों से पथ घिरे हुए हैं।

मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह